सरकारी स्कूलों में बड़ा आईटी रेवोल्युशन
आने वाला है। इससे जहां शिक्षकों की अब फरलो नहीं चलेगी, वहीं उन्हें अब
अपने काम के लिए मुख्यालय या जिला मुख्यालय चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
शिक्षकों और गैर शिक्षकों को अंगूठा लगाकर उन्हें हर रोज हाजिरी लगानी
होगी। यह हाजिरी जरूरी कर दी गई है। अब तक एक लाख से ज्यादा टीचर्स और नॉन
टीचर्स ने हाजिरी के लिए पंजीकृत करा लिया है। टीचर्स और नॉन टीचर्स को
छुट्टी से लेकर अन्य सभी कार्य ऑनलाइन होंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा के पास आईटी विभाग का प्रशासनिक सचिव का जिम्मा भी है। वे इससे पहले भी आईटी विभाग में रह चुकी हैं। आगामी 25 दिसंबर को प्रदेश में कई सेवाएं ऑनलाइन होंगी, उसके लिए वे काम कर रही हैं। मगर स्कूलों में अभी तक टीचर्स पर फरलो का आरोप लगता था। अब चूंकि हाजिरी बायोमीट्रिक तरीके से जरूरी कर दी गई है, इसलिए यह फरलो नहीं चल सकेगी।
स्कूल शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा के पास आईटी विभाग का प्रशासनिक सचिव का जिम्मा भी है। वे इससे पहले भी आईटी विभाग में रह चुकी हैं। आगामी 25 दिसंबर को प्रदेश में कई सेवाएं ऑनलाइन होंगी, उसके लिए वे काम कर रही हैं। मगर स्कूलों में अभी तक टीचर्स पर फरलो का आरोप लगता था। अब चूंकि हाजिरी बायोमीट्रिक तरीके से जरूरी कर दी गई है, इसलिए यह फरलो नहीं चल सकेगी।
स्कूलों में लगेंगी मशीनें
सूबे के हर स्कूल में बायोमीट्रिक हाजिरी मशीनें लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। सभी टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को स्कूल में सुबह पहुंचकर बायोमीट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाकर हाजिरी लगानी होगी। शाम को छुट्टी के समय भी उन्हें इसी तरह हाजिरी लगानी होगी। चूंकि ये मशीनें लगातार इंटरनेट से जुड़ी होती हैं, इसलिए इंटरनेट और चार्जर की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
सूबे के हर स्कूल में बायोमीट्रिक हाजिरी मशीनें लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। सभी टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को स्कूल में सुबह पहुंचकर बायोमीट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाकर हाजिरी लगानी होगी। शाम को छुट्टी के समय भी उन्हें इसी तरह हाजिरी लगानी होगी। चूंकि ये मशीनें लगातार इंटरनेट से जुड़ी होती हैं, इसलिए इंटरनेट और चार्जर की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
हाजिरी अंगूठे से लगेगी
"सरकारी स्कूलों में टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की हाजिरी अब बायोमीट्रिक तरीके से लगेगी। सभी को अंगूठा लगाना होगा। सभी स्टाफ को छुट्टी, एडवांस, एसीपी जैसी सुविधाएं भी ऑनलाइन दी जाएंगी। कहीं चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए साफ्टवेयर तैयार हो रहा है। इसके अलावा हरियाणा में आगामी 25 दिसंबर को कई सेवाएं ऑनलाइन की जाएंगी।" -- केशनी आनंद अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा और आईटी, हरियाणा
"सरकारी स्कूलों में टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की हाजिरी अब बायोमीट्रिक तरीके से लगेगी। सभी को अंगूठा लगाना होगा। सभी स्टाफ को छुट्टी, एडवांस, एसीपी जैसी सुविधाएं भी ऑनलाइन दी जाएंगी। कहीं चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए साफ्टवेयर तैयार हो रहा है। इसके अलावा हरियाणा में आगामी 25 दिसंबर को कई सेवाएं ऑनलाइन की जाएंगी।" -- केशनी आनंद अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा और आईटी, हरियाणा
एसीपी, छुट्टी, लोन, एडवांस सब कंप्यूटर से
सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग है। प्रदेश के सभी कर्मचारियों का एक तिहाई हिस्सा केवल स्कूल शिक्षा विभाग में आता है। मगर टीचर्स और नॉन टीचर्स को छुट्टी, एसीपी, लोन, एडवांस जैसे छोटे-छोटे कायरें के लिए जिला या राज्य मुख्यालय पर चक्कर काटने पड़ते हैं। मगर अब ये सब सुविधाएं एक क्लिक पर ही मिलने वाली हैं। इसके लिए साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। यह अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इससे जहां स्टाफ को फायदा होगा, वहीं एक डाटा भी तैयार होगा। सर्विस रिकार्ड में इस डाटा का महत्वपूर्ण रोल है।
सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग है। प्रदेश के सभी कर्मचारियों का एक तिहाई हिस्सा केवल स्कूल शिक्षा विभाग में आता है। मगर टीचर्स और नॉन टीचर्स को छुट्टी, एसीपी, लोन, एडवांस जैसे छोटे-छोटे कायरें के लिए जिला या राज्य मुख्यालय पर चक्कर काटने पड़ते हैं। मगर अब ये सब सुविधाएं एक क्लिक पर ही मिलने वाली हैं। इसके लिए साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। यह अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इससे जहां स्टाफ को फायदा होगा, वहीं एक डाटा भी तैयार होगा। सर्विस रिकार्ड में इस डाटा का महत्वपूर्ण रोल है।
बच्चों की हाजिरी भी सॉफ्टवेयर में भरी जा रही है
इस साल सभी स्कूलों में बच्चों का दाखिला ऑनलाइन हो चुका है। इससे स्कूलों में फर्जी दाखिले का डाटा थम गया है। वास्तव में हर साल जितने बच्चों का दाखिला दिखाया जाता था, वह काफी घट गया है। बच्चों की हाजिरी एक साफ्टवेयर में भरी जाती है।
इस साल सभी स्कूलों में बच्चों का दाखिला ऑनलाइन हो चुका है। इससे स्कूलों में फर्जी दाखिले का डाटा थम गया है। वास्तव में हर साल जितने बच्चों का दाखिला दिखाया जाता था, वह काफी घट गया है। बच्चों की हाजिरी एक साफ्टवेयर में भरी जाती है।
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